
महाराष्ट्र के ठाणे जिले की भिवंडी तहसील में स्थित खारबाव-चिंचोटी रोड पर आने वाले खार्डी गांव में सोमवार रात दो युवकों की निर्मम हत्या की खबर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। यह घटना रात करीब 11 बजे हुई जब दोनों युवक अपने घर लौट रहे थे।
किनकी हुई हत्या?
हमले में प्रफुल्ल तांगड़ी, जो कि भाजपा जनता युवा मोर्चा ठाणे ग्रामीण के जिला उपाध्यक्ष थे, और उनके साथी तेजस तांगड़ी की जान चली गई। पुलिस के अनुसार, दोनों को घातक हथियारों से इस तरह मारा गया कि उन्हें बचने का मौका तक नहीं मिला।
हमले की टाइमिंग और तरीका
प्रफुल्ल और तेजस, खार्डी गांव में स्थित J.D.T. इंटरप्राइजेस के ऑफिस से रात 11 बजे के करीब निकलकर घर जा रहे थे। उसी दौरान घात लगाए बैठे हमलावरों ने हथियारों से वार कर दिया। दोनों को इतनी गंभीर चोटें आईं कि उन्होंने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया।
कौन थे प्रफुल्ल तांगड़ी?
प्रफुल्ल तांगड़ी पेशे से रियल एस्टेट व्यवसायी थे और भारतीय जनता पार्टी की युवा शाखा के ठाणे ग्रामीण उपाध्यक्ष भी थे। राजनीतिक और व्यवसायिक दुनिया में उनकी पहचान मजबूत मानी जाती थी। उनके ऊपर पहले भी हमले की कोशिश हो चुकी थी, जिससे यह आशंका है कि पुरानी रंजिश या बिजनेस विवाद इस हत्या का कारण हो सकता है।
पुलिस जुटी जांच में
घटना की गंभीरता को देखते हुए भिवंडी तालुका पुलिस ने तत्परता से जांच शुरू कर दी है। CCTV फुटेज, घटनास्थल के सबूत और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान इकट्ठा किए जा रहे हैं। मामले की एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
खार्डी गांव बना पुलिस छावनी
हत्या के बाद पूरे गांव में तनाव का माहौल बन गया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय पुलिस, राज्य राखीव दल (SRPF) और दंगा नियंत्रण पथक की तैनाती की गई है। साथ ही, विधायक महेश चौघुले, नेता संतोष शेट्टी और पुलिस अधीक्षक डॉ. डी. एस. स्वामी भी घटनास्थल पर पहुंचे।

हत्या के पीछे कारण क्या हो सकता है?
प्रफुल्ल तांगड़ी पर पहले भी हमला हो चुका था, इसलिए पुलिस व्यवसायिक दुश्मनी और राजनीतिक रंजिश जैसे सभी पहलुओं पर जांच कर रही है। चूंकि मृतक राजनीति और रियल एस्टेट दोनों क्षेत्रों से जुड़े थे, इसलिए हत्या का मकसद जटिल हो सकता है।
इलाके में डर का माहौल
इस डबल मर्डर की खबर से खार्डी गांव और आस-पास के इलाके में भय और गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों की मांग है कि हमलावरों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून व्यवस्था मजबूत की जाए।
भिवंडी का यह मामला सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि राजनीति और व्यवसायिक टकराव किस हद तक जा सकता है। अब देखना होगा कि पुलिस इस केस को कितनी जल्दी सुलझा पाती है, और अपराधियों को न्याय के कटघरे में ला पाती है या नहीं।